छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी उद्धव ठाकरे की राह पर, प्रदेश में शराब और नशे के तमाम ठिकाने खुल गए, लेकिन नहीं खुले तो मंदिर, नवरात्र में माँ के दरबार में छाई वीरानी, राजनैतिक दलों के जमावड़े, धरना – प्रदर्शन से नहीं फैलेगा कोरोना, लेकिन माँ की आराधना से कोरोना फ़ैलने का अंदेशा
रायपुर / शक्ति पूजा के महापर्व नवरात्र के मौके पर सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ ने धैर्य दिखाया है | यह काबिले तारीफ है | गरीब मूर्तिकारों ने आर्थिक मार झेलते हुए राज्य सरकार के नियमों और दिशानिर्देशों के तहत छोटी मूर्तियां बनाई | नवरात्र में दुकारदारी करने वाले हज़ारों कारोबारियों ने अपने कारोबार में कटौती की | व्यवसायियों ने भी नियमों का पालन कर आर्थिक मार झेली | ताकि कोरोना के संक्रमण को रोका जा सके | वही दूसरी ओर राज्य सरकार ने तमाम सरकारी – गैर सरकारी शराब खाने खोल दिए | यही नहीं शराब की घर पहुँच सेवा भी जारी रखी |
यही नहीं कांग्रेस ने खुद लॉकडाउन खुलते ही रायपुर में किसानों के समर्थन में बड़ा प्रदर्शन किया | अब तो राजनैतिक रैलियों और प्रदर्शनों की इजाजत भी मिलनी शुरू हो गई | लेकिन नवरात्र के बावजूद ना तो मंदिर खोलने की इजाजत मिली और ना ही दुर्गा पंडालों में पूजा – पाठ और अनुष्ठान का पर्याप्त मौका |दुर्गा पंडालों को सिमित इजाजत भी दी गई तो कायदे कानूनों और कोविड -19 के नियमों के कड़ाई से पालन और दंडनीय कार्रवाई के शिकंजे में कस कर | नवरात्र में देवी के दरबारों में छाई वीरानी को देखकर माँ के भक्त हैरत में है |
हालाँकि वे छत्तीसगढ़ सरकार के दिशानिर्देशों का पूरा पालन कर रहे है | लेकिन उनकी जुबान पर कांग्रेस सरकार का दोहरा रवैया और वो माफदंड चर्चा का विषय बना हुआ है, जो कोरोना संक्रमण के फैलाव के लिए पैमाना बना हुआ है | माँ के भक्त पूछ रहे है कि क्या शराब खरीदने के लिए सरकारी दुकानों में उमड़ रही भीड़, राजनैतिक धरना प्रदर्शनों में शामिल भीड़ और बाजारों में उमड़ रही ग्राहकों की भीड़ से कोरोना नहीं फैलेगा | सिर्फ मंदिरों और माँ के दरबार और विजयदशमी उत्सव ही कोरोना संक्रमण के फैलाव के लिए जिम्मेदार और खतरनाक साबित हो सकते है | माँ के भक्तों का यह भी कहना है कि आखिर क्यों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की राह पकड़ ली है ?
दरअसल महाराष्ट्र में सिर्फ मंदिर बंद है | लेकिन मयखाने और समुद्र के किनारे स्थित नशे के तमाम ठिकाने पहले की तरह खुल गए है | यहाँ नशे का लुफ्त उठाने वालों से लेकर मौज मस्ती करने वालों का ताँता लगा है | उधर माँ के भक्त नवरात्र में मंदिर जाकर उनकी आराधना करने के लिए अपना मन मसोत कर रह जाते है | यही हाल छत्तीसगढ़ का नजर आ रहा है | राजनांदगांव के डोंगरगढ़ स्थित माँ बम्लेश्वरी मंदिर, बिलासपुर के रतनपुर में महामाया मंदिर, दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी मंदिर, महासमुंद में चंडी माता मंदिर, जतमई – घटारानी में माँ जतमई मंदिर और चंद्रपुर में माँ चन्द्रहासानी के दरबार में वीरानी छाई है |
गिने चुने लोगों को ही यहाँ आने – जाने की इजाजत है | ऐसे में माँ के भक्तों को सरकार का दोहरा रवैया रास नहीं आ रहा है | हालाँकि इस मामले को लेकर सरकार की अपनी सोच नजर आ रही है | देश में भले ही अनलॉक की स्थिति हो लेकिन राज्य में कोविड -19 के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए सरकार को आम भक्तों के लिए मंदिरों के पट बंद रखना ही मुनासिब नजर आ रहा है |