अंततः नगरनार डी-मर्जर प्रस्ताव मंजूर, स्टील प्लांट की आधार शिला रखने के पूर्व डाले गए थे कई जेल
मजदूर, किसान व जनप्रतिनिधियों के आंदोलन की निकली हवा
जगदलपुर। जिला मुख्यालय से लगभग 14 किलोमीटर दूर नगरनार क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रम की कंपनी राष्ट्रीय खनिज विकास निगम स्टील प्लांट का निर्माण कर रही है किंतु उससे पूर्व ही इस्पात मंत्रालय की अनुशंसा पर इसे डी- मर्जर करने का निर्णय लिया गया है और प्रधानमंत्री की सर्वोच्च समीति केंद्रीय केबिनेट ने अब इस पर मोहर लगा दी है जिसके कारण बस्तरवासियों का एक महत्त्वपूर्ण सपना पूरा होने से पहले ही टूट गया है तथा कई दिनों से चल रहे मजदूर, किसान व जनप्रतिनिधियों के आंदोलन की हवा निकल गई है।
तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेई सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की सरकार की पहल पर मेगा स्टील प्लांट की आधारशिला रखी गई थी। जिसके लिए बकायदा उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी बस्तर दौरे पर आए थे। नगरनार स्टील प्लांट क्षेत्र के लोगों ने जमीन नहीं देने का निर्णय लिया तो डंडे की ताकत पर किसानों का दमन कर जेलों में ठूंस दिया गया, किसानों ने सरकार के समक्ष घुटने टेक दिए और जमीन भी दे दी। वर्ष 2003 में राज्य और 2004 में देश की सरकार बदलने के बाद प्लांट का स्वरूप बदला और वह अपने अंतिम चरण के कार्य की ओर अग्रसर हुआ। किंतु भारी बहुमत वाली नरेंद्र मोदी सरकार नगरनार स्टील प्लांट को कथित तौर पर बेचने वाली है। इस हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट कमेटी ने अपनी मोहर लगा दी। कुल मिलाकर पिछले दरवाजे से बड़े व्यापारियों को इसे सौंपने की तैयारी है। विनिवेशीकरण रोकने के लिए विगत तीन वर्षों से किसान, मजदूर व जनप्रतिनिधियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। सबसे बड़ा आंदोलन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में हुआ किन्तु क्षणिक रुप से डी-मर्जर रुका था। अब जब केंद्र की मोदी सरकार की कैबिनेट ने नगरनार की हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है तो राज्य की भूपेश बघेल सरकार और कांग्रेस से उम्मीद की जा सकती है कि इस मामले में छत्तीसगढ़ के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए हर उचित स्तर पर प्रतिकार किया जाय।